आज रात

एक बार फिर रात आई है 

एक बार फिरअनचाही यादें लाई है

 आज रात फिर तेरी यादों में खोउँग 

आज फिर तेरे लिए रात भर रोऊंगा

आज रात फिर तेरी तन्हाई में समा जाऊंगा 

और कल फिर सुबह इस भीड़ में मिल कर खिल जाऊंगा

कब तक सताओ गी रात को याद बन कर 

कभी दिन में मेरे सामने आओ गी ख्वाब बन कर

हर रात नींद आये न आये तेरी याद जरूर आती है

हर रात कैसे न तेरी याद आये बन्द आँखों मे भी तू ही दिखाई देती हैं

हर रात य सिलसिला यूँही चलता रहेगा

मेरी ज़िन्दगी का हर एक पल तेरे लिए युही जलता रहेगा

9 thoughts on “आज रात”

  1. बहुत ही खूबसूरत कविता है आपकी जो सीधे दिल को छू जाती हैं।

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